अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
क्षणशः कणशः चैव विद्यामर्थं च साधयेत् ।
क्षणत्यागे कुतो विद्या कण त्यागे कुतो धनम् ।।

शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र की संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन एवं हस्तानांतर होता है | छात्राएं शिक्षा के माध्यम से ही अपने व्यक्तित्व का विकास तथा राष्ट्रीय संस्कृति को ग्रहण कर सकती हैं |

शिक्षा हमारे अन्तर्निहित अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञानरुपी प्रकाश को प्रज्जवलित करती हैं | यह व्यक्ति को सभ्य सुसंस्कृत बनाने का एक सशक्त माध्यम हैं | यह हमारी अनुभूति एवं संवेदनशीनलता को प्रबल करती है तथा वर्तमान एवं भविष्य के निर्माण का अनुपम स्रोत हैं | आज का मानव अपने मानवीय मूल्यों के प्रति विमुख हो चुका हैं | ऐसा स्थिति में उचित शिक्षा ही हमारे आदर्श एवं विश्वास समाज में अनुपस्थित होते जा रहे हैं | ऐसी स्थिति में उचित शिक्षा ही हमारे मूल्यों को विकसित करने में सार्थक कदम उठा सकती हैं | शिक्षा हमारे वंछित शक्ति का विकास करती हैं | इसके आधार पर ही अनुसंधान और विकास को बल मिलता है | यह हमारी संवेदनशीलता और दृष्टि को प्रखर करती है | इससे वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है तथा समझ एवं चिन्तन में स्वतंत्रता आती हैं | एक प्रकार से शिक्षा राष्ट्रीय आम्तनिर्भरता एवं नारी के सर्वागीण विकास की आधारशिला हैं |

अतः अपने उक्त उद्देश्यों को लेकर जनपद गाजीपुर के  मिरानपुर  में एक दीप के रूप में  स्थापित यह संस्कृत महाविद्यालय अपने सिद्धांतों को लेकर आगे बढ़ रहा हैं | हमारा उद्देश्य विद्यालय की छात्राओं को चहुमुखी विकास से जोड़ना तथा समाज में उनके मान एवं सम्मान का मार्ग प्रशस्त करना हैं | विद्यालय अपने उद्देश्यों को लेकर अत्यधिक गंभीर है तथा समाज के शिक्षित, प्रतिष्ठित, सामाजिक एवं दानी व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करने का हर संभव प्रयास कर रहा है, हमारे समाज में नारियों का जो मन सम्मान है वो पुरुषों से कम नहीं होना चाहिए , इसलिए उनकी शिक्षा एवं कार्य कुशलता के मार्ग में हम आप सबका स्नेह, सहयोग एवं मार्गदर्शन, प्राप्त करना चाहते है इस भावना से हमारे लिए आपके सहयोग एवं सुझाव सादर आमंत्रित हैं |

प्रधानाचार्य की कलम से

सुभाष संस्कृत महाविद्यालय मिरानपुर ग़ाज़ीपुर एक ख्याति प्राप्त संस्कृत विद्यालय है | संस्कृत महाविद्यालय में नामांकन लेने के आपके निर्णय का मै स्वागत करता हूँ की यह  विद्यालय आपके भविष्य को सवारने में पूरा योगदान देगा | संस्कृत विद्यालय संस्कार युक्त शिक्षा ग्रहण करने का सुगम एवं सुलभ संस्थान है | योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों के निर्देशन में सभी विषयों की नियमित पढाई एवं परीक्षा की विशेष तैयारी संस्कृत विद्यालय के शैक्षणिक वातावरण को और भी प्रभावित करता है | यही कारण है की क्षेत्र के बहार के लोग भी संस्कृत विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने दूर-दूर से आते है | कठिन परिश्रम और अनुशासन हमारा मूल मंत्र है | मैं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ |

प्रधानाचार्य
श्री सुनील कुमार उपाध्याय